-अशोक “प्रवृद्ध”
सामान्य तौर पर ऐसा लगता है कि स्वास्थ्य देख- भाल प्रणाली में सबसे महत्वपूर्ण चिकित्सक अर्थात डॉक्टर हैं, लेकिन यह सच नहीं है। सच तो यह है कि नर्स सभी चिकित्सा संस्थानों में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।विश्वभर में अलग-अलग बीमारियों से पीड़ित लोगों की मदद, मरीजों की सुविधाओं और बीमार व्यक्ति के शारीरिक स्थिति के साथ ही उनकेबारे में हर प्रकार की जानकारी रखते हुए उनकी समुचित देख भाल व इलाज में नर्सों का सहयोग व भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।एक चिकित्सक के जांच करने के बाद पर्ची अर्थात प्रिस्क्रीप्शन दिये जाने के बाद अधिकांश कार्य यथा, रोगियों की सुरक्षा, देखभाल, दवाईयां देना, घाव में मरहम और पट्टी करना आदि कार्य नर्स का ही होता है। नर्स कई प्रकार की प्रशिक्षण लेती हैं, और अस्पताल के प्रत्येक क्षेत्र मेंमहत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। नर्सें दिन-रात जागकर कठिन वातावरण में काम करती हुई मरीजों को दी जाने वाली हर प्रकार की सुविधाओं और सेवाओं का ध्यान रख मरीजों को जल्दी ठीक करने और उनकी हर तरह से देखभाल करने का काम करती हैं।दुनिया भर में कोहराम मचाने वाली कोरोना वायरस जैसे बड़े महामारी के इस काल में भी नर्स दिन- रात अपने जीवन को जोखिम में डाल कर काम कर रही हैं।महामारी के इस दौर में नर्सों की भूमिका और भी बड़ी हो गई है।वर्तमान में चिकित्सा क्षेत्र में नर्सों की सराहनीय भूमिका को सम्मानित करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 12 मई को संसार भर में अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है।इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ़ नर्सेज के द्वारानर्सों के लिए नए विषय की शैक्षिक और सार्वजनिक सूचना की जानकारी की सामग्री का निर्माण और वितरण करके इस दिन को स्मरणीय बनाने के उद्देश्य से अंतर्रराष्ट्रीय नर्स दिवस की शुरुआत 1965 में की गई।अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस की चर्चा की शुरुआत1953में अमेरिकी स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा और कल्याण विभाग के एक अधिकारी डोरोथी सदरलैंड के द्वारा राष्ट्रपतिड्वाइट डी. आइजनहावर से संपर्क कर उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस घोषित करने के लिए प्रस्ताव देने पर हुई।हालांकि उस समय उस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी गई। लेकिन इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सने 1965 से आधुनिक नर्सिंग की संस्थापक दार्शनिकफ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्म दिन12 मई को नर्स दिवस के रूप में पालन करना शुरू किया और 1974 में प्रतिवर्ष 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाने का निर्णय लेने की घोषणा कर दी। जनवरी 1974 में यू एस में प्रस्ताव पारित कर फ्लोरेंस नाइटिंगेल की स्मरण में उनकी जन्म तिथि 12 मई को आधिकारिक तौर पर अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के रूप में घोषित किया गया, तब से ही यह दिनसबसे अच्छी स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में नर्सों की भूमिका के महत्व पर प्रकाश डालने और उनके कार्यों को स्मरण कर उन्हें सम्मानित करने का दिन बन गया।इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्स 1965 से अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाते हुए अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस किट वितरित करता है ।इस किट में आम लोगों की जानकारी के लिए शैक्षिक और सार्वजनिक सूचना सामग्री से युक्त कुछ किताबें होती हैं, जिन्हें सब देशों की नर्सों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है।2020 में नर्स दिवस की थीम -नर्सिंग द वर्ल्ड टू हेल्थअर्थात विश्व स्वास्थ्य के लिए नर्सिंग है,थी।यह नर्सों और जनता को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाने के लिए प्रोत्साहित करने और लोगों को इसके प्रति जागरूक कर आने वाली पीढ़ी को नर्स परिवार का एक हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से था।2021 के थीम के लिए विषय है- नर्स – ए वॉयस टू लीड – ए विजन फॉर फ्यूचर हेल्थकेयर।2021 में यह दिखाने का प्रयास होगा कि नर्सिंग का भविष्य में कैसी स्थिति होगी और यह स्वास्थ्य सेवा के अगले चरण को कैसे बदल देगी?नर्सों की सराहनीय सेवा को मान्य्ता प्रदान करने के लिए भारत सरकार के परिवार एवं कल्या ण मंत्रालय ने भी राष्ट्रीय फ्लोरेंस नाइटिंगल पुरस्काीर की शुरुआत की है। यह पुरस्काडर प्रति वर्ष माननीय राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किये जाते हैं।स्वा स्य्फ् एवं परिवार कल्या ण मंत्रालय ने 1973 से अभी तक सैंकड़ों नर्सों को इस पुरस्कार से सम्माजनित किया है। फ्लोरेंस नाइटिंगल पुरस्कार में पचास हज़ार रुपए नकद, एक प्रशस्ति पत्र और मेडल दिया जाता है।
आधुनिक नर्सिंग की संस्था पक फ्लोरेंस नाइटिंगल का जन्मो 12 मई 1820 को हुआ था। उन्होंने क्रीमिया के युद्ध के दौरान अनेक महिलाओं को नर्स का प्रशिक्ष्ण देकर असंख्य सैनिकों का इलाज भी किया था। नर्सिंग को एक पेशा बनाकर वह विक्टोरियन संस्कृति की एक आइकन बनीं। रात के समय भी सैनिकों का इलाज करने के कारणविशेष रूप से वह लेडी विद द लैंप के नाम से जानी गईं।1860 में नाइटिंगेल ने लंदन में सेंट थॉमस अस्पताल में अपने नर्सिंग स्कूल की स्थापना कर पेशेवर नर्सिंग की नींव रखी थी।वह दुनिया का पहला नर्सिंग स्कूल था, जो अब लंदन के किंग्सस कॉलेज का हिस्सा है।नर्सिंग में अपने महत्वपूर्ण व अग्रणी कार्य के कारण अपनी पृथक पहचान बनाने वाली फ्लोरेंस के नाम पर ही नई नर्सों द्वारा नाइटिंगेल प्लेज ली जाती है।नर्सों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फ्लोरेंस नाइटिंगेल मेडल ही सबसे उच्च प्रतिष्ठित पुरस्कार है। यही कारण है कि संसार भर में अंतरराष्ट्री य नर्स दिवस फ्लोरेंस के जन्मदिन पर मनाया जाता है।
संसार में नर्सों की बढती आवश्यकता के मध्य दुःखद स्थिति तो यह है कि वर्तमान में संसार के सभी देशों में स्वास्थ्य सुविधाओं में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाली नर्सों की कमी चल रही है। इसमें अमीर और ग़रीब दोनों प्रकार के देश शामिल हैं। विकसित देश तो नर्सों की इस कमी को अन्य देशों से नर्सों को बुलाकर उन्हें अच्छा वेतन और अन्य सुविधाएँ प्रदान कर पूरा कर लेते हैं, लेकिन विकासशील देश यह नहीं कर पाते। जिसके कारण ऐसे देशों में नर्सों की कमी बनी ही रहती है। निर्धन, विकासशील देशों में नर्सों को अधिक वेतन और सुविधाओं की कमी और भविष्य भी उज्ज्वल नहीं दिखाई देने के कारण वे विकसित देशों के बुलावे पर नौकरी के लिए चली जाती हैं।भारत में सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों को लागू किये जाने के बाद नर्सों को सम्मानयुक्त वेतन व अन्य सुविधाएँ मिलने से भारत से विदेशों के लिए नर्सों के पलायन में पहले की अपेक्षा कमी आई है, लेकिन आज भी भारत में रोगी और नर्स के अनुपात में भारी अंतर है। वर्तमान कोरोना काल में यह कमी और भी खल रही है और लोगों में चिकित्सीय कम्रियों की कमी का भारी खामियाजा उठाने के कारण सरकार के प्रति रोष बढ़ रहा है। यद्यपि सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के कारण भारत में प्रशिक्षित नर्सों की संख्या में कुछ सुधार हुआ है, और अच्छे वेतन और सुविधाओं के लिए प्रशिक्षित नर्सों की विदेश गमन की संख्या में पूर्व की अपेक्षा कमी आई है, तथापि रोगियों की संख्या में लगातार वृद्धि होने के कारण रोगी और नर्स के अनुपात में अंतर बढ़ा है।सरकार को इस चिंतनीय विषय को गंभीरता से लेना चाहिए। कुछ राज्यों और गैर सरकारी क्षेत्रों में आज भी नर्सों की हालत अच्छी नहीं है। उन्हें लम्बी अवधि तक कार्य करना पडता है और उनको वे सुविधाएँ मुहैय्या नहीं कराई जाती हैं, जिनकी वे हकदार हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों और अस्पतालों में नर्सों की कमी को ध्यान में रखते हुए विवाहित महिलाओं को भी नर्सिंग पाठयक्रम में प्रवेश लेने की अनुमति दिए जाने के बाद से विवाहित महिलाएं भी इस क्षेत्र में आ रही है। नर्सिंग कॉलेजों में फैकल्टी की आयु 70 वर्ष तक बढ़ानेऔर देश में नर्सिंग शिक्षकों को उनकी योग्यता और अनुभव में कुछ छूट देने का फैसला किये जाने का भी कहीं- कहीं कुछ लाभ होता दिख रहा है, परन्तु इस पर और ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है। डिप्लोमा और पोस्ट ग्रेजुएट कार्यक्रमों के लिए शिक्षकों की भागीदारी बढाने के संबंध में कुछ कदम उठाये जाने की आवश्यकता है। जिन राज्यों में नर्सो और नर्सिंग कालेज में शिक्षकों की भारी कमी चल रही है वहाँ परनर्सिंग स्कूल खोलने और राज्य स्तर पर प्रति संस्थान अनुदान दिए जाने की आवश्यकता है। राज्य नर्सिंग परिषदों को मजबूत करने के लिए अनुदान और ग्रेजुएट नर्सो की संख्या भी बढाने के लिए हर सम्भव प्रयास किया जाना भी अपेक्षित है। देश में महानगरों और बड़े शहरों में चिकित्सा व्यवस्था और आवासीय व अन्यान्य सुविधाएँ अपेक्षाकृत कुछ ठीक होने के कारण वहाँ पर नर्सो की संख्या में इतनी कमी नहीं है, जितनी छोटे शहरों और गाँवों में है। किसी भी देश में नर्सो की कमी उस देश के खराब चिकित्सा व्यवस्था को प्रदर्शित करती है। नर्सो की कमी का सीधा प्रभाव नवजात शिशु और बाल मृत्यु दर पर पड़ता है।आज भी भारतीय चिकिसा जगत के लिए शिशु मृत्युदर को कम करना,मातृत्वश स्वाुस्य्दे में सुधार और एचआईवी, एडस, मलेरिया, कोरोना, और अन्यई बीमारियों से लड़ना किसी चुनौती से कम नहीं है।कोरोना काल में नर्सों का दायित्व और ज्यादा बढ़ गया है और वे जी- जान से रोगियों की सेवा में लगी हुई हैं। उनका सम्मान, प्रशंसा और धन्यवाद किये जाने की महती आवश्यकता है।यद्यपि नर्सों के महती कार्य के लिए उनकी एक दिन की प्रशंसा बहुत कम है, तथापि 12 मई का दिन समाज में नर्सों के अंतहीन योगदान को धन्यवाद, सम्मान, सराहना, प्रशंसा, प्रोत्साहित और नमन करने का दिन होता है। इससे वे अपने कार्य को और भी बेहतर तरीके से करने में सक्षम बनती हैं, उत्साहित होती हैं। नर्सों को उनके कार्य के लिए सदैव ही धन्यवाद ज्ञापित किये जाने की आवश्यकता है, उनके योगदान के लिए आभार प्रदर्शित किये जाने की आवश्यकता है, उन्हें शुभ नर्स दिवस कहकर नमन किये जाने की आवश्यकता है।
Post By kaushal Kumar
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